गुरुवार, 29 जनवरी 2009

''आजादी के तराने '' नाटक ने किया दर्शकों को भावविभोर

''आजादी के तराने '' नाटक ने किया दर्शकों को भावविभोर

मन को छू गई संगीतमय प्रस्तुति

ग्वालियर, 27 जनवरी 09 / भारत वर्ष की आजादी की लड़ाई के कुर्बानीयुक्त इतिहास की भावपूर्ण संगीतमय प्रस्तुति आजादी के तराने नाटक ने कल दर्शकों को भावविभोर कर दिया। अभिज्ञान नाटय एसोसियेशन नई दिल्ली की इस देश भक्ति पूर्ण गीतों में पिरोकर तैयार की गई नाटय प्रस्तुति दर्शकों के मन में त्याग, अहिंसा और देश प्रेम का जज्बा पैदा करने मे कामयाब रही। लोकेन्द्र त्रिवेदी द्वारा निर्देशित इस संगीतमय नाटक का मंचन गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2009 की संध्या पर जीवाजी विश्वविद्यालय स्थित गालव सभागार में किया गया। नाटक की मन को छू लेने वाली कथावस्तु दर्शक छात्र छात्राओं के मन पर अपनी विशेष छाप छोड़ गई।

       नाटक में मंगल पाण्डे वीरांगना लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि क्रांतिकारियों का योगदान स्मरण कराते हुए महात्मा गाँधी के अंहिंसा, सत्याग्रह और असहयोग आन्दोलन के महत्वपूर्ण योगदान को भी उजागर करने में सफल रहा। नाटक में फिरंगियों द्वारा किये गये अत्याचार और जलिंया वाले बाग के नरसंहार का दृश्य दर्शकों के हृदय में टीस पैदा कर गया। संगीत और प्रकाश का संयमित, संतुलित और माकूल इस्तेमाल नाटक को प्रभावी बना गया। नाटक के निर्देशक, सूत्राधार सहित सभी 40 कलाकार श्रेष्ठ प्रस्तुति के लिये विशेष साधुवाद के पात्र हैं।

       नाटक  में काल सापेक्ष चिन्तन, समाज और जनजागृति का उजास  पूरी तरह मुखर हुआ है। जो सिलसिला बंग-भंग से प्रारम्भ हुआ फिर पंजाब का किसान आन्दोलन, जलियांवाला बाग, सायमन कमीशन का विरोध, क्रांतिकारियों के आन्दोलन का क्रमिक विस्तार काकोरी काण्ड से लेकर क्रांन्तिकारियों की शहादत को रेखांकित करते हुए महात्मागाँधी के नेतृत्व में चलाये गये नमक आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन को मंच पर पूरी शिद्दत से प्रस्तुत किया। सर फरोशी की तमन्ना , बन्दे मातरम् ...., रघुपति राघव राजाराम ...., सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा...सहित नाटक में आजादी की लड़ाई में जान फूंकने वाले शहीदों द्वारा रचित तरानों का खूब इस्तेमाल हुआ। कैप्टन रामसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, श्यामलाल गुप्त पार्षद, सुभद्राकुमारी चौहान, बंशीधर शुक्ल, मनोरंजन, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, नरसिंह मेहता, डॉ. इकबाल तथा मुमताज हुसैन की रंचनाएं नाटक को सजीव कर गई। नाटक का लेखन डॉ. मधु पंत ने किया है जो विशेष बधाई की पात्र हैं। नाटक के सूत्राधार द्वय ध्रुव सिंह और नटी मयूखिनी पाण्डे तथा महात्मागाँधी का किरदार अदा करने वाले विद्याभूषण कुलश्रेष्ठ भी विशेष सराहना के हकदार हैं।

      उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन की पहल पर गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को लोकतंत्र के लोक उत्सव  भारत पर्व के रूप मे मनाया जाता है। आजादी के तराने नाटक की प्रस्तुति इस उपक्रम में जिला प्रशासन जनसंपर्क विभाग के संयुक्त सहयोग से स्वराज्य संस्थान एवं राज्य के संस्कृति विभाग का विनम्र प्रयास था।

 

सत्रह बार बजीं तालियाँ

आजादी के तरानों को मोतियों के रूप में पिरोकर बनी माला के जो जो मोती दर्शकों के सामने से गुजरे वे उन्हें गहरे तक रोमान्चित कर गये। दर्शक इतने भाव विभोर हुए कि कभी उनकी ऑंखें नम हुईं तो कभी उनके हाथ अनवरत तालियां बजाये जा रहे थे। कुल 80 मिनिट तक चले ''आजादी के तराने'' नाटक के कलाकारों को दर्शकों की ओर से तालियों के माध्यम से सत्रह वार वाहवाही मिली।

 

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