सोमवार, 30 मार्च 2009

कमला राजा अस्पलात मे स्त्री एवं प्रसूति रोग के क्षेत्र में . अल्ट्रासाउंड की भूमिका पर कार्यशाला सम्पन्न

कमला राजा अस्पलात मे स्त्री एवं प्रसूति रोग के क्षेत्र में . अल्ट्रासाउंड की भूमिका पर कार्यशाला सम्पन्न

ग्वालियर 29 मार्च 09। आज कमला राजा अस्पताल सभागार में ''स्त्री एवं प्रसूति रोग विज्ञान में अल्ट्रासोनोग्राफी की भूमिका'' पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

       कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि डॉ.  एस. सुरेश, चेन्नई द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात् प्रोफेसर डॉ. वीना अग्रवाल द्वारा स्वागत भाषण दिया गया तथा  जी. आर. मेडीकल कॉलेज की अधिष्ठाता डॉ. शैला सप्रे द्वारा प्रसूति विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रसूति रोग विशेषज्ञों के लिये अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा अनवार्य हो गई है।

       इस अवसर पर डॉ वीना अग्रवाल ने बताया कि बहुतसी जानलेवा बीमारियाँ गर्भावस्था में संबंधित परिस्थितियों जैसे एक्ट्रोपिक प्रिग्नेंसी या प्लेसेंटा प्रिविया (भ्रूण का गर्भाशय से अन्यत्र पाया जाना व ऑवल का बच्चेदानी के मुंह पर स्थित रहना) को अल्ट्रासाउण्ड से उचित समय पर पहचान कर उनका निवारण किया जा सकता है व पीड़ित स्त्री की जीवन रक्षा की जा सकती है। कार्यक्रम को पांच चरणों में वर्गीकृत करके बहुत अच्छी तरह से नियोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ज्योति बिंदल ने किया।

       इस कार्यशाला में चेन्नई से आमंत्रित विश्वप्रसिध्द अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट, डॉ. एस. सुरेश, जो कि ऐशिया के सबसे बड़े मेडीस्कैन इंटरनेशनल अल्ट्रासाण्ड रिफरल तंत्र के निदेशक हैं। ने अपने  ज्ञान से सभी को लाभान्वित किया।

       आधुनिक तकनीक के साथ अल्ट्रासाउण्ड तकनीक की गतिविधियों का सीधा प्रसारण किया गया। इसका लाभ मुख्य सभागार के अलावा दो अन्य कक्षाओं में भी विद्यार्थियों को मिला। इस कार्यक्रम को सम्पादित करने में डॉ. वीरा लोहिया, डॉ अचला सहाय, डॉ. आर. कौल, प्रज्ञा पिपरिया, डॉ. अंजु वर्मा, डॉ. स्वाति अग्रवाल का योगदान सराहनीय रहा।

       कार्यक्रम के प्रथम चरण की अध्यक्षता कमला राजा अस्पताल में पदस्थ डॉ. बृंदा जोशी और डॉ. सुषमा त्रिवेदी ने किया। डॉ. सुरेश द्वारा प्रथम चरण में गर्भावस्था के 11 से 14 सप्ताह में भ्रूण मे जन्मजात विकृतियों जैसे डाउन सिण्ड्रोम की शीघ्र पहचान के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।

       कार्यशाला के दूसरे और तीसरे चरण की अध्यक्षता डॉ यशोधरा गौर और डॉ. सुप्रिया माहेश्वरी द्वारा की गई। इस चरण में गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउण्ड की जांच के सात मूलभूत चरणों पर चर्चा की गई। मध्यान्ह भोजन के उपरांत चौथे और पांचवे  चरण की शुरूआत की गई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अर्चना मौर्य और डॉ. कुसुम अग्रवाल ने की। इसमें कलर डॉप्लर एवं आर. एच. आइसोम्यूनाइजेशन जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

       प्रत्येक चरण के अंत में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के कारण कार्यक्रम में उपयोगिता और रोचकता बढ़ गई। कार्यक्रम का समापन फोगसी सचिव डॉ. कुसुम सिंघल के आभार प्रदर्शन के साथ किया गया। कार्यक्रम की सफलता में कमलाराजा अस्पताल के स्त्री एवं एवं प्रसूति विभाग के समस्त चिकित्सकों व स्नातकोत्तर छात्रों के सम्मिलित व अथक प्रयासों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

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