रविवार, 13 दिसंबर 2009

74वीं अखिल भारतीय सिंधिया स्वर्ण कप हॉकी प्रतियोगिता आज से

74वीं अखिल भारतीय सिंधिया स्वर्ण कप हॉकी प्रतियोगिता आज से

उद्धाटन मैच इंडियन बैंक चैन्नई विरूद्व सांई हॉस्टल भोपाल के बीच

ग्वालियर दिनांक 12.12.2009- देश के प्रतिष्ठित अखिल भारतीय सिंधिया स्वर्ण कप हॉकी टूर्नामेंट कल 13 से 21 दिसम्बर तक यहां रेल्वे हॉकी स्टेडियम पर शुरू होने जा रहा है। नगर निगम ग्वालियर के इस 74वें ग्रेड-1 हॉकी आयोजन में देश भर की नामी गिरामी 24 टीमें हिस्सा ले रहीं है।

       नगर निगम के खेल अधिकारी सत्यपाल सिंह चौहान ने बताया कि टूर्नामेंट का आयोजन 13 दिसम्बर रविवार को प्रात: 11.00 बजे संभागीय आयुक्त डॉ. कोमल सिंह सोलंकी के मुख्य आतिथ्य में होगा। निगमायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। टूर्नामेंट का उद्धाटन मैंच इण्डियन बैंक चैन्नई और सांई हॉस्टल भोपाल की टीमों के बीच खेला जायेगा। उन्होंने बताया कि टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमों में गत वर्ष की विजेता भारत पेट्रोलियम मुम्बई, उपविजेता नामधारी एकादश, नागपुर इलेवन, एम.पी.स्टेट हॉकी एसो.भोपाल, साउथ ईस्ट रेल्वे विलासपुर, एन.सी.आर. ओ.वी. चेन्नई, एम.ई.जी. बैंगलोर, एन.ई. रेल्वे गोरखपुर, स्पोट्र्स हॉस्टल राउलकेला, साउथ सेन्ट्रल हैदराबाद, सेल उड़ीसा, सदन रेल्वे चैन्नई, वेस्टर्न रेल्वे मुंबई, कर्नाटक स्टेट पुलिस बैंगलोर, इंडियन ऑयल मुम्बई, पंजाब नेशनल बैंक नई दिल्ली के अलावा दो स्थानीय टीमें मास्टर्स स्पोट्र्स अकादमी और ग्वालियर इलेवन की टीमें शामिल हैं।

श्री चौहान ने बताया कि प्रतियोगिता की विजेता एवं उपविजेता टीम को क्रमश: दो एवं एक लाख रूपयें नगद बतौर पुरूस्कार दिये जावेंगे। टीमों की आवास व्यवस्था रेल्वे हॉकी स्टेडियम में की गयी है। आफिशियल्स व अन्य अधिकारियों को होटल में ठहराया जाएगा। टीमों के आवागमन के लिये बसों की व्यवस्था की गयी है जबकि अधिकारियों के लिये जीप मुहैया करायी गयी है। प्रतियोगिता के उद्धाटन वाले दिन कल 13 दिसम्बर को दूसरा मैंच मास्टर्स अकादमी ग्वालियर और नागपुर इलेवन के बीच मैच खेला जायेगा। शेष अन्य दिनों में प्रतिदिन तीन मैंच खेल जायेंगे।

सिंधिया हॉकी का इतिहास- हॉकी की परम्परा, जिसके लिये यह नगर समूचे संसार में अपनी विशेष पहचान स्थापित किये हुये है, दिसम्बर सन् 1919 से प्रांरभ होती है जब राजमहल में स्थानीय रेजीडेंसी के कुछ गोरे अधिकारी और राज्य सेना में कार्यरत सैनिक अधिकारियों ने तत्कालीन शासक के समक्ष हॉकी खेल का प्रदर्शन किया था। इसके पश्चात हॉकी की लहर रेजीडेन्सी, सेना और सरदार स्कूल में चल निकली। सन् 1919 में ही तत्कालीन शासक द्वारा इस खेल को अखिल भारतीय स्तर देने की इच्छा व्यक्त की और अपनी इच्छा की फलीभूत करने के लिये उन्होंने सन् 1918 में प्राप्त किया हुआ स्वर्ण चषक ग्वालियर स्पोर्ट्स एसोसियेशन को सौंपा।

       ग्वालियर स्पोर्ट्स एसोसियेशन द्वारा सन् 1921 में विक्टोरिया कॉलेज के प्रांगण पर हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसे जीवाजी क्लब (एल्गिन क्लब) की टीम ने जीता। तब से यह प्रतियोगिता अखिल भारतीय स्तर के रूप में प्रति वर्ष बढ़ती गई। सन् 1925 में इस प्रतियोगिता की प्रेरणा से ग्वालियर में अखिल भारतीय हॉकी संघ का गठन हुआ और उसका प्रथम मुख्यालय होने का गौरव ग्वालियर नगर को ही प्राप्त हुआ। प्रांरभ में यह प्रतियोगिता रेसकोर्स के कीड़ांगण में आयोजित होती रही। वहां तक पहुंचने के लिये ग्वालियर रियासत द्वारा विशेष रेल्वे रेल तथा वाहनों की व्यवस्था दर्शकों के लिये की जाती थी। मध्यभारत राज्य के निर्माण तक ग्वालियर स्पोर्ट्स एसोसियेशन यह प्रतियोगिता आयोजित करता रहा। मध्यभारत के गठन के बाद सन् 1959 तक इस प्रतियोगिता का आयोजन मध्यभारत हॉकी एसोसियेशन करता रहा। सन् 1960 से ग्वालियर नगर निगम के द्वारा इस प्रतियोगिता को अपने हाथों में लिया गया, तब से निगम द्वारा प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता का निरंतर आयोजन किया जा रहा है। प्रांरभ में यह प्रतियोगिता कै0 रूप सिंह स्टेडियम पर आयोजित होती रही। इस स्टेडियम के क्रिकेट स्टेडियम में परिवर्तन हो जाने के बाद से यह प्रतियोगिता रेल्वे हॉकी स्टेडियम पर आयोजित होती है। इस प्रकार भारत में आगा खां और बेटन कप के बाद सिंधिया स्वर्ण हॉकी की तीसरी उच्च स्तरीय प्रतियोगिता के रूप में मान्य है। नगर निगम एवं मध्य भारत हॉकी संघ के सम्मिलित प्रयासों से अखिल भारतीय हॉकी संघ द्वारा इस प्रतियोगिता को देश की प्रथम श्रेणी की प्रतियोगिता घोषित किया गया है।

       नगर निगम द्वारा प्रतियोगिता के आयोजन पर प्रति वर्ष अपने बजट में से लगभग एक लाख रू. की राशि व्यय की जाती थी जो वर्तमान में 18 लाख रू. प्रतिवर्ष हो गई है और प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को उसी प्रकार का अतिथि सत्कार तथा सुविधायें सुलभ कराई जाती है जो कि रियासत काल में भाग लेने वाली टीमों को प्राप्त होती थी। इस प्रतियोगिता में सर्वश्री ध्यानचन्द, रूप सिंह, मर्टिन, ब्राउन, डिकीकार, शौकत अली, एहमद शेख, बी.निमल, सी.निमल, फिलिप्स, हाइन्ड, बलवीर सिंह सीनियर, एहसान, पेरूमल, अमीर कुमार, राजा गोपाल, ऊधम सिंह, धर्मसिंह, देशमुथू, जोगेन्द्र सिंह, पृथिपाल सिंह, मोहिन्दर लाल, हरविन्दर सिंह, माइकल विण्डो, एम.पी. गणेश, एन्टिक, राजकुमार, चार्ल्स, सुरजीत सिंह, भास्करन, अशोक कुमार एवं गोविन्दा, शिवाजी पवार जैसे विश्व के श्रेष्ठ खिलाड़ी भी खेल चुके हैं।

स्थानीय खिलाड़ियों में सर्वश्री दुर्गाप्रसाद, मथुराप्रसाद चौबे, कैलाश मिश्र, दयाशंकर मिश्र, छोटे बाबू, शफात एहमद, बालासाहब पवार, गुलाम रसूल एवं शिवाजी पवार आदि भी राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में यशस्वी कीर्तिमान स्थापित कर चुके है।

 

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