सोमवार, 25 जनवरी 2010

प्रदेश के पहले सहकारी शक्कर कारखाने को सुदृढ़ बनाने की पहल

प्रदेश के पहले सहकारी शक्कर कारखाने को सुदृढ़ बनाने की पहल

सहकारिता मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने समग्र योजना बनाने के निर्देश दिये

भोपाल 24 जनवरी 10। सहकारी क्षेत्र में प्रदेश के पहले शक्कर कारखाने को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के हर-संभव प्रयास होंगे। सहकारिता मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने यह विश्वास 'दि मुरैना मंडल सहकारी शक्कर कारखाना कैलारस' के नवनिर्वाचित संचालक मंडल को दिया है। शक्कर कारखाने के इतिहास में यह पहला निर्वाचित संचालक मंडल है जिसके अध्यक्ष श्री शरमन लाल धाकड़ हैं।

       सहकारिता मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कैलारस शक्कर कारखाने की स्थितियों पर विचार करने के लिए निर्वाचित संचालक मंडल तथा सहकारिता अधिकारियों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में सहकारी क्षेत्र के इस पहले शक्कर कारखाने को सुदृढ़ बनाने पर विचार हुआ। सहकारिता मंत्री श्री बिसेन ने सरकारी स्तर पर लंबित प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय कराने का आश्वासन दिया है। कैलारस शक्कर कारखाने की वर्ष 1971-72 में स्थापना हुई थी। कैलारस शक्कर कारखाने पर वर्तमान में 18 करोड़ रुपये की लेनदारियां हैं। वर्ष 6-7 एवं 7-8 में सूखा एवं पूरे देश में गन्ने की कम कीमतों के कारण उत्पादन में भारी गिरावट होने से कैलारस शक्कर कारखाने को भारी घाटा हआ। इनमें से 14 करोड़ रुपये शासन की तथा 4 करोड़ रुपये कर्मचारियों की लेनदारियां हैं। गन्ना उत्पादन में किसानों को कुल 94 लाख रुपये दिए जाते हैं। संचालक मंडल का प्रस्ताव है कि किसानों के 94 लाख की देनदारियों को सबसे पहले चुकाया जाना है। इसमें भारत सरकार की योजना है कि वर्ष 6-7 एवं 7-8 में जिन शक्कर कारखानों ने जो एक्साइज डयूटी चुकाई है उतनी राशि के बराबर उन्हें ब्याज रहित लोन दिया जाएगा। यह राशि कुल 68 लाख रुपये है। इसके लिए शासन की और बैंक गारंटी की आवश्यकता होगी। इस राशि के प्राप्त होने पर किसानों की देय राशि का भुगतान किया जा सकेगा। संचालक मंडल ने एक अन्य प्रस्ताव में शासन की लेनदारियों की अवधि पांच साल तथा वसूली स्थगित रखने का आग्रह किया है। कारखाने को आगे चलाने के लिए 30 से 35 करोड़ रुपये की कार्य पूंजी की भी आवश्यकता होगी। सहकारिता मंत्री श्री बिसेन ने शक्कर कारखाने को सुदृढ़ बनाने का एक समग्र प्रस्ताव बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।

       नवनिर्वाचित संचालक मंडल ने भी अपने स्तर पर प्रयास प्रारंभ किए हैं। उन्होंने शक्कर कारखाने से संबंधित किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। संचालक मंडल के सदस्य गांव-गांव में साइकिल से यात्रा कर किसानों को गन्ने की खेती से होने वाले फायदे और आज के समय में शक्कर की बढ़ती मांग से होने वाले लाभ उन्हें बता रहे हैं। वर्तमान में देश में शक्कर की कुल खपत 240 लाख टन है जबकि इस वर्ष लगभग 140 लाख टन ही उत्पादन हुआ है। सौ लाख टन की यही कमी शक्कर की कीमतों में भारी वृध्दि कर रही है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में सौ टन गन्ने का उत्पादन होता है। इससे किसानों को दो से ढाई लाख रुपये का लाभ होता है। प्राकृतिक प्रकोपों से कम से कम क्षतिग्रस्त होने वाली गन्ने की फसल से जितनी आय एक हेक्टेयर क्षेत्र में होती है उतनी किसी भी अन्य फसल से नहीं होती।

 

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