शनिवार, 23 जनवरी 2010

वन मेले का शुभारंभ :अगर प्रकृति नहीं रही तो मनुष्य भी नहीं रहेगा- न्यायाधिपित श्री गंगेले

वन मेले का शुभारंभ :अगर प्रकृति नहीं रही तो मनुष्य भी नहीं रहेगा-  न्यायाधिपित श्री गंगेले

ग्वालियर 22 जनवरी 10। प्रकृति के समीप रहकर ही जीवन को स्वस्थ रखा जा सकता है, स्वस्थ रहकर जीवन का आनंद उठाया जा सकता है, अगर प्रकृति नहीं रही तो मनुष्य भी नहीं रहेगा। यह विचार उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायाधिपति श्री एस के. गंगेले द्वारा ग्वालियर व्यापार  मेला परिसर में वन मेले के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। वन मेले के शुभारंभ अवसर पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार श्री आर वी. राठी, अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री श्यामबिहारी मिश्रा, मुख्य वन संरक्षक ग्वालियर श्री आर बी. सिन्हा, श्री के. रमन वनसंरक्षक ग्वालियर वृत्त श्रीमती समिता राजौरा, सहित अन्य गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में मेला सैलानी  उपस्थित थे।

      न्यायाधिपति श्री गंगेले ने कहा कि प्रकृति द्वारा मानव को अनेक उपहार प्रदान किये हैं जिसमें वनोपज के रूप में जड़ी बूटियों भी दिव्य उपहार हैं। जिन्हें आयुर्वेद द्वारा मानव कल्याण के लिये अनेक औषधियों के रूप में तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति मानव की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। मानव प्रकृति के समीप रहकर स्वस्थ जीवन बसर कर सकता है। श्री गंगेले ने कहा कि वनविभाग द्वारा जड़ी बूटियों के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है। वनों को सहेजने और संवारने की जिम्मेदारी वन विभाग बखूबी निभा रहा है लेकिन इसके साथ ही आम आदमी को भी अपना दायित्व समझना चाहिये और वनों के संरक्षण और वृध्दि में अपना योगदान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि वनों की अंधाधुंध कटाई के परिणामस्वरूप वनों में जड़ी बूटियों के रूप में उपलब्ध विपुल सम्पदा भी समाप्त होती जा रही है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पौधे और मानव में  अनेक समानतायें हैं। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता का  अस्तित्व बचाने के लिये वनों का संरक्षण किया जाना अत्यावश्यक है।

      रजिस्टार श्री राठी ने कहा कि आयुर्वेद हमें प्रकृति से जोड़ता है, प्रकृति को पहचानेंगे तभी हम अपने आपको पहचान पायेंगे। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक चेतना के लिये आवश्यक है कि शरीर स्वस्थ रहें। आयुर्वेद हमें स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है।

      मुख्य वन संरक्षक सामान्य वनमण्डल श्री आर बी. सिन्हा ने कहा कि वन मेले का आयोजन मध्यप्रदेश की घोषित वननीति के तहत गत वर्षों की भांति किया जा रहा है। श्री सिन्हा ने कहा कि वन मेले ग्वालियर के अतिरिक्त इंदौर, भोपाल व जबलपुर में भी आयोजित किये जाते हैं। वन मेले आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य आम आदमी को जड़ी बूटियों के प्रति जागरूक बनाना तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करना है। उन्होंने कहा कि मेले के माध्यम से शासन का प्रयास जड़ी बूटियों का संरक्षण, संवर्ध्दन एवं विकास करना व ताजा एवं दुर्लभ जड़ी बूटियों के व्यापार में बिचौलियों को समाप्त कर वनग्राम समितियों को प्रोत्साहित करना है इसके लिये मेले में ग्रामीणों को तीन-तीन दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा 2005 से व्यापार मेला परिसर में वन मेला लगाने की परंपरा प्रारंभ की गई है जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। इसके साथ ही जिला लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित किये जा रहे संजीवनी केन्द्र को भी काफी पसंद किया जा रहा है। वन मेला में महाराष्ट्र में यवतमाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश के वैद्य भाग लेंगे जो मरीजों का नि:शुल्क उपचार करेंगे। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा''विंध्य हर्बल'' के ट्रेडमार्क के साथ जड़ी बूटियों का विक्रय किया जा रहा है। इसके बरखेड़ा पढानी में आधुनिक सुविधाओं से युक्त लेबोरेटरी भी बनाई गई है जिनमें जड़ी बूटियों का परीक्षण करके ही वन मेले व संजीवनी केन्द्रों पर विक्रय हेतु उपलब्ध कराई जाती हैं।

      कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथिगण द्वारा भगवान धनवंतरी के चित्रपर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। वन मेले का भ्रमण कर सभी स्टॉलों का अवलोकन किया। कार्यक्रम का संचालन एस डी ओ. श्री उपाध्याय ने किया।

 

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