शनिवार, 23 जनवरी 2010

'' आम आदमी को जड़ी-बूटियों से रूबरू करायेगा वनमेला'' वन मेले का शुभारंभ आज

'' आम आदमी को जड़ी-बूटियों से रूबरू करायेगा वनमेला'' वन मेले का शुभारंभ आज

ग्वालियर 21 जनवरी 10। आम आदमी को हमारी अमूल्य धरोहर जड़ी-बूटियों से रूबरू कराने तथा आयुर्वेद के माध्यम से असाध्य रोगों के उपचार के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से वन विभाग के तत्वावधान में ग्वालियर व्यापार मेला में वन मेले का आयोजन किया जा रहा है। वन मेले का शुभारंभ 22 जनवरी को सांयकाल 4.30 बजे उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ  के न्यायाधिपति श्री एस के. गंगेले द्वारा किया जायेगा। दस दिन तक चलने वाले इस वन मेले में दूर देश के ख्यातिमान आयुर्वेदाचार्य वेद भी शिरकत करेंगे तथा मरीजों का नि:शुल्क उपचार करेंगे।

      वन संरक्षक सामान्य वनमण्डल श्रीमती समिता राजौरा ने कहा कि वन मेले का आयोजन मध्यप्रदेश की घोषित वननीति के तहत गत वर्षों की भांति किया जायेगा। वनमेला व्यापार मेला परिसर में गेट नं.3 के पास छत्री नं. एक में लगाया जायेगा। श्रीमती राजौरा ने कहा कि वन मेले ग्वालियर के अतिरिक्त इंदौर, भोपाल व जबलपुर में भी आयोजित किये जाते हैं। वन मेले आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य आम आदमी को जड़ी बूटियों के प्रति जागरूक बनाना तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करना है। उन्होंने कहा कि मेले के माध्यम से शासन का प्रयास जड़ी बूटियों का संरक्षण, संवर्ध्दन एवं विकास करना व ताजा एवं दुर्लभ जड़ी बूटियों के व्यापार में बिचौलियों को समाप्त कर वनग्राम समितियों को प्रोत्साहित करना है इसके लिये मेले में ग्रामीणों को तीन-तीन दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा 2006 से व्यापार मेला परिसर में वन मेला लगाने की परंपरा प्रारंभ की गई है जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। इसके साथ ही जिला लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित किये जा रहे संजीवनी केन्द्र को भी काफी पसंद किया जा रहा है। विभाग द्वारा संजीवनी केन्द्र की क्षमता वृध्दि का कार्य भी किया जा रहा है। संजीवनी केन्द्र में पंचकर्म पध्दति को भी प्रारंभ किया गया है।

      श्रीमती राजौरा ने बताया कि वन मेला में महाराष्ट्र में यवतमाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश के वैद्य भाग लेंगे जो मरीजों का नि:शुल्क उपचार करेंगे। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा '' विंध्य हर्बल'' के ट्रेडमार्क के साथ जड़ी बूटियों का विक्रय किया जा रहा है। इसके बरखेड़ा पढानी में आधुनिक सुविधाओं से युक्त लेबोरेटरी भी बनाई गई है जिनमें जड़ी बूटियों का परीक्षण करके ही वन मेले व संजीवनी केन्द्रों पर विक्रय हेतु उपलब्ध कराई जाती हैं।

      उन्होंने बताया कि ग्वालियर अंचल में गुड़मार की पत्ती, शतावर का उत्पादन भारी मात्रा में होता है। इसके साथ ही इन उत्पादों की गुणवत्ता भी सर्वश्रेष्ठ पाई जाती है। विभाग द्वारा इन दोनों उत्पादों को संग्रहण केन्द्र विकसित कर प्रदेश तथा देश के अन्य हिस्सों में भेजा जावेगा।

      उन्होंने कहा कि वनमेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी इस वर्ष से प्रारंभ किया जा रहा है। इसमें तंवोला और  आयुर्वेद पर आधारित प्रतियोगिता भी आयोजित की जायेगी।

 

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