रविवार, 31 जनवरी 2010

भारत पर्व: सुश्री झोकरकर के गायन और सुश्री दमयन्ती के कथक से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

भारत पर्व: सुश्री झोकरकर के गायन और सुश्री दमयन्ती के कथक से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

ग्वालियर 27 जनवरी 10। उनकी भाव-भंगिमायें ही सब बयां कर गईं। एक बानगी तो लोगों के मानस पटल पर ऐसी तस्वीरें उभरीं मानों उनकी आंखों के सामने ही द्रोपदी की लाज बचाने भगवान श्री कृष्ण खड़े हो गये हैं। यहां बात हो रही है गणतंत्र दिवस की सांध्य बेला में कला मंदिर रंगमंच पर प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना सुश्री दमयन्ती भाटिया द्वारा कथक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत की गई द्रोपदी चीर हरण कथा की। महाभारत के पात्र मामा शकुनि, दुर्योधन, दुस्सासन, धर्मराज युधिष्ठर, द्रोपदी व भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र को सुश्री दमयन्ती भाटिया ने कथक नृत्य में अकेले ही जीवन्त कर दिया और 'भारत पर्व' में शिरकत करने आये सभी लोगों की खूब वाह वाही लूटी। इससे पहले इंदौर से पधारीं ग्वालियर घराने की सुप्रसिध्द शास्त्रीय गायिका सुश्री  कल्पना झोकरकर ने अपने गायन से संगीत की ऐसी स्वर लहरियां बिखेरी जिससे मेला कला मंदिर का सम्पूर्ण प्रांगण गुुंजायमान हो उठा।

      राज्य शासन के स्वराज संस्थान द्वारा जिला प्रशासन, नगर निगम एवं जन संपर्क विभाग के सहयोग से आयोजित किये गये भारत पर्व की मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता ने दोनों कलाकारों सुश्री कल्पना झोकरकर व सुश्री दमयन्ती भाटिया को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित  किया। इस अवसर पर कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, नगर निगम आयुक्त डॉ. पवन शर्मा, जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मजाहिर किदवई, अपर कलेक्टर श्री आर के. जैन व श्री आर के. मिश्रा, नगर निगम के अपर आयुक्त श्री सुरेश कुमार शर्मा, संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री सुभाष चन्द्र अरोड़ा व उप संचालक जनसंपर्क श्री जी एस. मौर्य, मेला प्राधिकरण के संचालकगण श्री शिवेन्द्र राठौर व श्रीमती संध्या भिण्डिया एंव मेला सचिव श्री अरूण श्रीवास्तव सहित नगर के अन्य जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिक व संगीत रसिक मौजूद थे।

      'भारत पर्व' के तहत आरंभ में कण्ठसिध्द शास्त्रीय  गायिका सुश्री कल्पना झोकरकर ने राग कलावती में बंदिश के साथ अपने गायन की शुरूआत की। जिसके बोल थे 'बोलन लागी कोयलिया' , भ्रमर वन भ्रमत मधुमाष आया''। बाद में उन्होंने '' केशरिया बालम आवोनी पधारो हमारो देश रे'' की प्रस्तुति दी। सुश्री झोकरकर ने अपने गायन की कड़ी में झूला भजन प्रस्तुत किया। जिसमें भगवान राम व सीता के झूलने का वर्णन उन्होंने किया। भजन के बोल थे '' सिया संग झूलें'' बगिया में राम ललना'', जहां पड़ा है हिण्डोला आठो याम ललना। गोरे रंग जानकी सांवले सलौने प्रभु, छवि ऐसी बनी है रति काम ललना/

      'भारतपर्व'' के दूसरे एवं अतिम चरण में रायगढ़ घराने की युवा कथक नृत्यांगना सुश्री दमयन्ति भाटिया ने '' गाइये गणपति जग बंदन'' शंकर सुमन भवानी नंदन'' भजन पर कथक नृत्य की प्रस्तुति से अपने नृत्य की शुरूआत की। उल्लेखनीय है कि रायगढ़ घराने का शास्त्रीय नृत्य लखनऊ एवं जयपुर घराने का समिश्रण है जिसकी प्रस्तुति के दौरान कथक के व्याकरण व खूबियां खूब उजागर होती हैं।  तबले की थाप एवं सारंगी व हारमोनियम की मधुर धुन के बीच सुश्री दमयन्ती भाटिया ने जिस चपलता से अपने अंग-प्रत्यंग को रायगढ़ घराने के कथक नृत्य की प्रस्तुति में ऐसा थिरकाया उससे सुधीय दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।

      कर्यक्रम के अंत में नगर निगम के पी आर ओ. श्री प्रदीप श्रीवास्तव ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री डी सी. जैन मासूम एवं सुश्री कादम्बरी आर्य ने किया।

 

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