मंगलवार, 29 जून 2010

डॉ. मुखर्जी की विचारों पर चले कार्यकर्ता - भारतसिंह कुशवाह

डॉ. मुखर्जी की विचारों पर  चले कार्यकर्ता - भारतसिंह कुशवाह

         ग्वालियर 23 जून। भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर ग्रामीण ने  भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के 57 वां बलिदान दिवस पर छावनी क्षेत्र में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यअतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष भारतसिंह कुशवाह ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने दो निशान, दो विधान तथा दो प्रधान के खिलाफ आवाज बुलंद की।

         श्री कुशवाह ने डॉ. मुखर्जी के मन में यह बात हमेशा चुभती थी कि हमारे स्वतंत्र भारत होने के बाद भी जम्मू कश्मीर में भारत का कोई भी नागरिक बिना परमिट के जा नहीं सकता था। वहीं कश्मीर में अलग विधान चलता था। अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान के अनुच्छेदों को लागू करने में रूकावट आती है, जिससे कांच का घर बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जम्मू और कश्मीर में बिना परमिट प्रवेश करने की ठान ली।  डॉ. मुखर्जी ने जब सीमापार की तब उनके पास यात्रा करने का कोई परमिट नहीं था, फिर भी अधिकारियों ने उन्हें यह मालूम होते हुए भी रोका नहीं।

         उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी स्वतंत्र भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने देश की अखण्डता तथा सम्प्रभुता की रक्षा के लिए प्राण दिये। उन्होंने कहा कि डॉ. अखण्ड भारत की लड़ाई में सबसे आगे थे उन्होंने मुस्लिम लींग की साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ जमकर लडाई लड़ी।

         डॉ. मुखर्जी जवाहरलाल नेहरू की प्रथम केबिनेट के सदस्य थे किन्तु उन्होंने 8 अप्रैल 1950 को ल्यिाकत पैक्ट के विरोध में नेहरू मंत्रीमण्डल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें शेख अब्दुल्ला द्वारा श्रीनगर में में 40 दिनों तक बंदी बना कर रख गया जहां उन्हें अत्यन्त पीड़ा भोगी और संदेहास्पद परिस्थितियों उनकी मृत्यु हो गई।

         डॉ. मुखर्जी के द्वारा किये गये आंदोलन का ही परिणाम है कि आज भारत के लोग बिना परमिट कश्मीर सहित वेष्णोदेवी के दर्शन के लिये भी जा सकते है।

         इससे पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष भारतसिंह कुशवाह ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पमाला अर्पित की गई। इस अवसर पर रूपसिंह घुरैया, जगदीश भदौरिया, सुनील शर्मा, विकास साहू, प्रेमसिंह राजपूत, मुरारी किरार, परमानंद श्रीवास्तव, राजकुमार कुशवाह, चंदनसिंह किरार, मुरारी पाल, भूपेन्द्र माहौर, पी.पी. नरवरिया, नंदकुमार यादव, नत्थाश्रीवास, हरिओम श्रीवास, सुमन राजपूत, राजवीरसिंह पवैया, भूरा तोमर, रामप्रकाश बाल्मिक, संजय खत्री, जितेन्द्र राजपूत, वीरू परिहार, कालीचरण शर्मा, विष्णू शर्मा, सामंतसिंह, अवधेशसिंह , सुघरसिंह लोधी, दीपसिंह सहित अनेक कार्यकर्ता शामिल थे।

         कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेशकुमार सेन ने किया तथा आभार मण्डल अध्यक्ष सुनील यादव ने किया।

 

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