मंगलवार, 11 जनवरी 2011

उद्योगों के लिये प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त शासकीय भूमि उपलब्ध

उद्योगों के लिये प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त शासकीय भूमि उपलब्ध

Bhopal: Tuesday, January 11, 2011:

वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि उद्योगों के लिये प्रदेश के सभी जिलों में पर्याप्त शासकीय भूमि उपलब्ध है। सभी जिला कलेक्टरों को उद्योगों की स्थापना के लिये लैण्ड बैंक बनाने के निर्देश दिय गये हैं ताकि प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये उद्योगपतियों को आकर्षित किया जा सके।

लैण्ड बैंक

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित प्रोजेक्ट क्लियरेंस एण्ड इम्पलीमेंटेशन बोर्ड द्वारा प्रदेश में उपलब्ध उपयुक्त शासकीय भूमियों का एक लैण्ड बैंक बनाने का निर्णय लिया गया था। इससे निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये उद्योगपतियों को आकर्षित किया जा सके।

प्रदेश के 45 जिलों की कुल 22506.737 हेक्टेयर शासकीय भूमि चिन्हित की गई है। इसे लैण्ड बैंक के रूप में संधारित किया गया है। इसमें से 20 जिलों की कुल 2636.481 हेक्टेयर शासकीय भूमि राजस्व विभाग से उद्योग विभाग को हस्तांतरित हो चुकी है।

प्रदेश में औद्योगिक इकाईयों को वर्तमान कुल 3900 हेक्टेयर भूमि आवंटन हेतु उपलब्ध है। जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों के पास 2100 हेक्टेयर और औद्योगिक केन्द्र विकास निगमों के पास 1800 हेक्टेयर भूमि इस प्रकार कुल 3900 हेक्टेयर भूमि आवंटन हेतु उपलब्ध है।

औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमि चिन्हित

इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर माह के अन्त तक औद्योगिक क्षेत्रों और औद्योगिक इकाईयों की स्थापना हेतु प्रदेश के 12 जिलों की कुल 928.545 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गयी है। इसमें से कुल 752.335 हेक्टेयर शासकीय भूमि के हस्तांतरण एवं 176.210 हेक्टेयर निजी भूमि अर्जन के 18 प्रस्ताव संबंधित जिला कलेक्टरों को प्रेषित किये गये हैं।

इस अवधि तक प्रदेश के 5 जिलों के 5 प्रस्ताव अनुसार कुल 261.486 हेक्टेयर शासकीय भूमि उद्योग विभाग को हस्तान्तरित की गई और भू-अर्जन मुआवजा मद में कुल 684.08 लाख रुपये का व्यय हुआ है। औद्योगिक क्षेत्रों के लिये चिन्हित की गई यह भूमि भी निवेशकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध करायी जायेगी।

पावरलूम एवं टेक्सटाईल्स कलस्टर

राज्य शासन ने बुरहानपुर जिले में पावरलूम एवं टेक्सटाईल क्लस्टर के विकास के संबंध में 1036.49 लाख रुपये की परियोजना तैयार की है। यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिये औद्योगिक अधोसंरचना उन्नयन योजना (आईआईयूएस) के अंतर्गत केन्द्र सरकार को भेजा गया है जो अभी तक केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के स्तर पर लंबित है।

 

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