सोमवार, 26 सितंबर 2011

शनि वृद्ध होकर अस्त हुये, शारदीय नवरात्रि 28 से प्रारंभ होंगी

शनि वृद्ध होकर अस्त हुये, शारदीय नवरात्रि 28 से प्रारंभ होंगी
Narendra Singh Tomar "Anand"
ग्वालियर 26 सितंबर आज प्रात: शनिदेव वृद्धावस्था में अस्त भी हो गये, शनि देव पिछले हफ्ते से वृद्ध होना शुरू हुये थे । शनिदेव वृद्धावस्था में ही अब 30 अक्टूबर को उदय होंगें लेकिन अति वृद्ध एवं कमजोर होने से प्रभावहीन रहेंगें ।
इसके साथ ही 28 सितंबर को पितृपक्ष पूर्ण होकर शारदीय नवरात्र उत्सव प्रारंभ होगा इस बार तृतीया तिथि क्षय होने से घटती नवदुर्गा हैं अत: अनुष्ठान एवं साधना कार्य कम होंगें , व्रत उपासना एवं मंदिरों में देवी तीर्थों में काफी भीड़ उमड़ेगी ।
निकटस्थ पीतांबरा पीठ एवं करौली केलादेवी राजस्थान में स्थानीय माता के भक्तगण अधिक उमड़ेगें । देवी मंदिरों में नवरात्रि उत्सव की तैयारियॉं प्रारंभ कर दी गयीं हैं । आश्विन यानि क्वार मास में मनाया जाने वाला यह पर्व अनेक कारणों से देवी भक्तों के लिये महत्वपूर्ण होता है ।
शारदीय नवरात्रि महोत्सव प्रारंभ होने के साथ ही हिन्दूओं का उत्सव पर्व सत्र प्रारंभ हो जायेगा जो कि देवठान (देव उत्थान एकादशी) ग्यारस तक जारी रहेगा , जिसमें दशहरा एवं दीपोत्सव पर्व दीपावली आदि मनाये जायेंगें, देवठान यानि देवोत्थान एकादशी से शादी विवाह प्रारंभ हो जायेंगें उसके उपरांत मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि एवं होली पर्व मनाये जायेंगें जो कि एन भड्डली नवमी तक यह पर्व उत्सव सत्र जारी रहेगा ।          

भगत सिंह की जन्मतिथि पर व्याख्यान और परिचर्चा कल

भगत सिंह की जन्मतिथि पर व्याख्यान और परिचर्चा कल

शहर की सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था दखल विचार मंच कल २७ सितम्बर को शहीद ए आज़म भगत सिंह के १०५ वें जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष होने आयोजित होने वाली 'भगत सिंह व्याख्यान माला' के तहत 'हाशिए का समाज और लोकतंत्र की सीमाएँ' विषय पर एक व्याख्यान तथा परिचर्चा का आयोजन करेगी. पड़ाव स्थित कला वीथिका में शाम साढ़े पाँच बजे से  होने वाले इस आयोजन में मुख्य वक्ता जाने-माने कवि, विचारक और पब्लिक एजेंडा पत्रिका के साहित्य संपादक श्री मदन कश्यप होंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रेड युनियन नेता श्री राजेश शर्मा करेंगे. kaa पिछले सा वर्षों से नियमित आयोजित इस व्याख्यान माला में अब तक प्रो लाल बहादुरायेगी.i  il विफलता है. आ. आखिर  वर्मा, पंकज बिष्ट, सुभाष गाताड़े, प्रो संजय कुमार सहित अनेक विद्वान हिस्सेदारी कर चुके हैं.
यह जानकारी देते हुए संस्था के प्रवक्ता अमित शर्मा ने बताया कि इस वर्ष हम लोकतंत्र के पिछले छह दशक की यात्रा में दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, आदिवासी तथा उत्तर-पूर्व जैसे उन समाजों की स्थितियों पर विचार करेंगे जो विकास और प्रगति की दौड में पीछे छूट गए हैं. इरोम शर्मिला जैसे लोग बारह सालों तक के अनशन के बावजूद न्याय नहीं पा सके हैं. यह लोकतंत्र की विफलता है. हम यह विचार करना चाहते हैं कि इसकी क्या वजहें रहीं और इसे किस तरह दूर किया जा सकता है. इस अवसर पर प्रगतिशील साहित्य तथा पोस्टरों की एक प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी.
इस अवसर पर संस्था ने शहर के सभी प्रबुद्ध नागरिकोंछात्रों तथा आम जनों से हिस्सेदारी की अपील की है.

रविवार, 25 सितंबर 2011

मुरैना से लोकसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पिता का निधन

मुरैना से लोकसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पिता का निधन 

भारतीय जनता पार्टी के मुरैना से लोकसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पिता श्री मुंशी सिंह तोमर का आज निधन हो गया है ।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पिता श्री मुंशी सिंह तोमर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
श्री चौहान ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

कर्नाटक का असली नाटक (भाजपा का असली चेहरा)

AS RECEIVED...............
 
 
KAR – NATAK   KA   ASLI   NATAK
===========================================
 
Rs. 50,000 Cr. Of natural resources are looted; In just 3 years and are illegally exported to CHINA & PAKISTAN
कर्नाटक में पिछले केवल 3 सालों में 50 ,000  करोड़ (पचास हजार करोड़) रुपये की प्राकृतिक सम्पदा को लूटा गया और गैर कानूनी रूप से उसे चीन और पकिस्तान को भिजवा दिया गया  



All 3 brothers are ministers in same Government
और ये तीनो कमीने भाई एक ही सरकार में मंत्री है



They sleep and sit On gold beds and chairs worth 45 cr.
ये जिस कुर्शी पर बैठते है और जिस बिस्तर पर सोते है वो सोने की बनी ही है और जिसकी कीमत करीब 45 करोड़ रूपया है



Diamond Crown worth 100 Cr in their Living room
उनके घर में 100 करोड़ की कीमत का हीरों का ताज रखा हुवा है -



40 Cr gold Crown for lord Tirupati by Reddy's.
Janardhana Reddy donated a diamond-studded crown worth over Rs 40 crore to Tirupati, and has another at his residence in Bellary . This is the costliest donation offered to Lord Venkateswara ever


CBI finds gold spoons and plates worth 5 Cr
सी बी आइ को सोने के चम्मच और प्लेटें मिली है जिनकी कीमत 5 करोड़ रूपया है  



There house in Bellary worth 120 Cr
बेल्लारी में उनका 120 करोड़ रुपये का बंगला है -





Owns 5 helicopters and planes;
the Reddy brothers would heli-hop between Bellary and Bangalore even for lunch or dinner
उनके पास 5 हेलिकोप्टर और छोटे विमान है जिनका इस्तेमाल रेड्डी बंधू बेल्लारी और बंगलोरे के बीच आने जाने में करते है जब वो लंच और डीनर (केवल खाना खाने) के लिए जाते है -



A number of luxury cars line the Reddy homes, ranging from Bentleys and Mercs to the latest SUVs and Range Rovers.








Itna Forward karo ke bhrastachareyo ke Neind ud jai…jab tak aise log jail mein nahe honge Bharat Azad nahe Hoga .
इसे इतना फॉरवर्ड करो कि भ्रस्टाचारियों की नींद उड़ जाये ---- जब तक ऐसे लोग जेल में नहीं होंगे भारत आज़ाद नहीं होगा ..




--

धन्यवाद एवं हार्दिक शुभेच्छा,
राकेश चन्द्र
प्रकृति आरोग्य  केंद्र
सेंद्रिय, आयुर्वेदिक, वनस्पतीय, प्राकृतिक और स्वदेशी वस्तुओं का वैशेषिक विक्रय केंद्र  
=========================================================

Thanks and Regards,
Prakriti Aarogya Kendra
Specialty Store of Organic, Ayurvedic, Herbal, Natural & Swadeshi Products
============================================================
Shop No. 2, Buena Vista,
Off Ganpati Chowk,
Beside Bank of Baroda,
Viman Nagar, Pune - 411014
Contact Number : 020-40038542, 9822622905, 9881308509

Website www.prakritipune.in

Google Group http://groups.google.com/group/prakriti-a-call-to-return-to-the-nature






 

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कर्नाटक में पिछले केवल 3 सालों में 50 ,000  करोड़ (पचास हजार करोड़) रुपये की प्राकृतिक सम्पदा को लूटा गया और गैर कानूनी रूप से उसे चीन और पकिस्तान को भिजवा दिया गया  



All 3 brothers are ministers in same Government
और ये तीनो कमीने भाई एक ही सरकार में मंत्री है



They sleep and sit On gold beds and chairs worth 45 cr.
ये जिस कुर्शी पर बैठते है और जिस बिस्तर पर सोते है वो सोने की बनी ही है और जिसकी कीमत करीब 45 करोड़ रूपया है



Diamond Crown worth 100 Cr in their Living room
उनके घर में 100 करोड़ की कीमत का हीरों का ताज रखा हुवा है -



40 Cr gold Crown for lord Tirupati by Reddy's.
Janardhana Reddy donated a diamond-studded crown worth over Rs 40 crore to Tirupati, and has another at his residence in Bellary . This is the costliest donation offered to Lord Venkateswara ever


CBI finds gold spoons and plates worth 5 Cr
सी बी आइ को सोने के चम्मच और प्लेटें मिली है जिनकी कीमत 5 करोड़ रूपया है  



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उनके पास 5 हेलिकोप्टर और छोटे विमान है जिनका इस्तेमाल रेड्डी बंधू बेल्लारी और बंगलोरे के बीच आने जाने में करते है जब वो लंच और डीनर (केवल खाना खाने) के लिए जाते है -



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राकेश चन्द्र
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सोमवार, 12 सितंबर 2011

डीआरडीओ ने सफेद दाग (ल्‍युकोडर्मा) के इलाज के लि‍ए आयुर्वेदि‍क उत्‍पाद जारी कि‍या

डीआरडीओ ने सफेद दाग (ल्‍युकोडर्मा) के इलाज के लि‍ए आयुर्वेदि‍क उत्‍पाद जारी कि‍या
सफेद दाग के इलाज के लि‍ए रक्षा अनुसंधान और वि‍कास संगठन (डीआरडीओ) ने एक आयुर्वेदि‍क उत्‍पाद ल्‍यूकोस्‍कि‍न वि‍कसि‍त कि‍या है। इस उत्‍पाद को जाने-माने वैज्ञानि‍क और डीआरडीओ में अनुसंधान और संगठन (जीववि‍ज्ञान और अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग) के मुख्‍य-नि‍यंत्रक, डा. डबल्‍यू. सेल्‍वामूर्ति‍‍ने नई दि‍ल्‍ली में जारी कि‍या। ल्‍यूकोस्‍कि‍न, हल्‍दवानी स्‍थि‍त रक्षा जैव उर्जा अनुसंधान संस्‍थान(डि‍बेर) के वैज्ञानि‍कों के व्‍यापक अनुसंधान का नतीजा है और यह औषध सफेद दाग से प्रभावि‍त लोगों के लि‍ए वरदान साबि‍त होगी। डि‍बेर, डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला है और इसने औषधीय पादपों के क्षेत्र में व्‍यापक कार्य कि‍या है। यह प्रयोगशाला उर्जा सुरक्षा के समाधानों के लि‍ए जैव उर्जा के उत्‍पादन में लगी है। ल्‍युकोस्‍कि‍न को डीएआरएल के पूर्व नि‍देशक डा नरेंद्र कुमार के नेतृत्‍व में वि‍कसि‍त कि‍या गया है। औषध वि‍ज्ञान प्रभाग के पूर्व अध्‍यक्ष डा. पी. एस. रावत और फाइटो-रसायन वि‍ज्ञान वि‍भाग के अध्‍यक्ष डा. एच.के.पांडे ने इसके लि‍ए वि‍शेष प्रयास कि‍ए। ल्‍यूकोस्‍कि‍न दो रूपों में- मरहम और मुँह से लि‍ए जाने वाले तरल पदार्थ के तौर पर उपलब्‍ध होगा। हल्‍दवानी स्‍थि‍त डि‍बेर के नि‍देशक डा. जक्‍वान अहमद और जीव-वि‍ज्ञान नि‍देशक डा. जी. इल्‍वाजगन ने ल्‍यूकोस्‍कि‍न को बाजार में लाने के वि‍शेष प्रयास कि‍ए ताकि‍यह सफेद दाग से प्रभावि‍त लोगों को उपलब्‍ध हो सके। यह औषध रोग से प्रभावि‍त लोगों के लि‍ए नई आशा सि‍द्ध होगी। डा. डबल्‍यू. सल्‍वामूर्ति‍के मार्गदर्शन में इस औषधि‍की प्रौद्योगि‍की नई दि‍ल्‍ली के एआईएमआईएल फार्मास्‍यूटि‍कल (इ्ंडि‍या) लि‍मि‍टेड को दे दी गयी है, जो बड़े पैमाने पर ल्‍यूकोस्‍कि‍न का उत्‍पादन कर इसे बाजार में उपलब्‍ध कराएगी।

सफेद दाग एक त्‍वचा रोग है। इस रोग से ग्रसि‍त लोगों के बदन पर अलग-अलग स्‍थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग आ जाते हैं। वि‍श्‍व में एक से दो प्रति‍शत लोग इस रोग से प्रभावि‍त हैं, लेकि‍न भारत में इस रोग के शि‍कार लोगों का प्रति‍शत चार से पांच है। राजस्‍थान और गुजरात के कुछ भागों में पांच से आठ प्रति‍शत लोग इस रोग से ग्रस्‍त हैं। शरीर पर सफेद दाग आ जाने को लोग एक कलंक के रूप में देखने लगते हैं और कुछ लोग भ्रम-वश इसे कुष्‍ठ रोग मान बैठते हैं। इस रोग से प्रभावि‍त लोग ज्‍यादातर हताशा में रहते हैं और उन्‍हें लगता है कि‍समाज ने उन्‍हें बहि‍ष्‍कृत कि‍या हुआ है। इस रोग के एलोपैथी और अन्‍य चि‍कि‍त्‍सा-पद्धति‍यों में इलाज हैं। शल्‍य चि‍कि‍त्‍सा से भी इसका इलाज कि‍या जाता है, लेकि‍न ये सभी इलाज इस रोग को पूरी तरह ठीक करने के लि‍ए संतोषजनक नहीं हैं। इसके अलावा इन चि‍कि‍त्‍सा-पद्धति‍यों से इलाज बहुत महंगा है और उतना कारगर भी नहीं है। रोगि‍यों को इलाज के दौरान फफोले और जलन पैदा होती है। इस कारण बहुत से रोगी इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। डि‍बेर के वैज्ञानि‍कों ने इस रोग के कारणों पर ध्‍यान केंद्रि‍त कि‍या है और हि‍मालय की जड़ी-बूटि‍यों पर व्‍यापक वैज्ञानि‍क अनुसंधान करके एक समग्र सूत्र तैयार कि‍या है। इसके परि‍णामस्‍वरूप एक सुरक्षि‍त और कारगर उत्‍पाद ल्‍यूकोस्‍कि‍न वि‍कसि‍त कि‍या जा सका है। इलाज की दृष्‍टि‍से ल्‍यूकोस्‍कि‍न बहुत प्रभावी है और यह शरीर के प्रभावि‍त स्‍थान पर त्‍वचा के रंग को सामान्‍य बना देता है। इससे रोगी का मानसि‍क तनाव समाप्‍त हो जाता है और उसके अंदर आत्‍मवि‍श्‍वास बढ़ जाता है। उत्‍पाद को डा. सल्‍वामूर्ति‍ने जारी कि‍या। उस समय डा. नरेंद्र कुमार, डा. जक्‍वान अहमद, डा. जी. इल्‍वाजगन, एआईएमआईएल फार्मास्‍यूटि‍कल के प्रबंध नि‍देशक श्री के.के.शर्मा और डीआरडीओ तथा एआईएमआईएल फार्मास्‍यूटि‍कल के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारी मौजूद थे।

शनिवार, 10 सितंबर 2011

Prime Minister’s closing remarks at the NIC meeting

Prime Minister's closing remarks at the NIC meeting
Following is the text of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh's closing remarks at the National Integration Council meeting in New Delhi today:

"Today's deliberations have brought forth many useful perspectives and ideas, which will help better secure the Council's goals. The Home Minister has already touched upon these in his summing up of the deliberations, and I request him to have these duly considered in consultation with stakeholders. I am sure that these consultations will result in the formulation of concrete responses to the challenges to national integration.

It is heartening that the Council members have displayed unanimity of purpose, reaffirming their resolve to combat the ills of communalism and terrorism and to create a more inclusive India. There is clarity that resort to violence and unconstitutional means cannot be justified. At the same time, the discussion has underscored the need to continuously and creatively work towards securing in greater measure the socio-economic and other aspirations of all sections of society. Several speakers have laid emphases on a focussed approach to end a feeling of alienation and discrimination among minorities and marginalised sections of society scheduled tribes, scheduled castes and women. In this, the Centre, the States and citizens all have important roles to play. A number of speakers have referred to the need to revisit our development model to promote greater inclusiveness and social equity.

On the specifics of the way forward, the richness of points of view expressed today will serve to guide the Government in its quest for fashioning optimal policy and legislative interventions that balance various concerns. There has been a lively discussion regarding the contents of the Communal Violence Bill. Concerns have been expressed about encroachment into States' jurisdiction, against the spirit of federalism. Let me assure you that the Central Government is equally committed to preserving and strengthening the federal framework, which has served this country well. The point made by several speakers regarding the need to ensure fair and timely enforcement of laws, both by the Centre and States, is valid and I am sure my Ministerial colleagues and the Chief Ministers would have taken note of the concerns expressed in this regard. Ensuring that the law enforcement and investigation machinery does not carry any bias while discharging its duties also must be accorded the highest priority.

A suggestion was made regarding a trained force to deal with riots. At the Central level, we have in the Rapid Action Force, a proven model for such a purpose. Perhaps time has come for the Central and State Governments to explore ways in which States may be helped to create a well trained and equipped police Force, capable of meeting the challenges that are now on the horizon.

In handling civil disturbances, the lessons learned in Jammu & Kashmir and elsewhere, and examples of corrective measures, must be looked at closely and acted upon in time, so that unnecessary loss of life and limb is avoided.

Several speakers have referred to the need for engaging the energy and initiative of our youth for constructive purposes. I agree with the suggestions made by many esteemed members that opportunities for our youth to acquire skills, engage in nation-building and social work, and interact more actively in sports, cultural and other character-building pursuits need to be enhanced and encouraged. The creation of new opportunities for productive employment for our growing labour force was emphasized by many speakers. In this context, provision of education and health care facilities on an adequate scale assume great importance. I would urge my Ministerial colleagues and Chief Ministers to give careful consideration to this aspect.

There has been widespread support for the view that the Council should meet more frequently. The Government is in agreement with this view and we will ensure that the Council meets once a year hereafter.

I thank all of you for taking part in and contributing to today's deliberations.

Prime Minister's Speech at the National Integration Council Meeting

Prime Minister's Speech at the National Integration Council Meeting
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh, has addressed the 15th National Integration Council Meeting in New Delhi today. Following is the text of the Prime Minister's address on the occasion.

"I am very happy to welcome all of you to this 15th meeting of the National Integration Council. The meetings of the Council provide us unique opportunities for exchange of views on issues of vital national importance. Common citizenship, unity in diversity, secularism, equality, justice – social, economic and political, and fraternity among all communities constitute the foundation of our national life. At the National Integration Council meetings we reiterate our faith in these abiding values.

I am sure that like the previous meetings, this meeting of the National Integration Council also will benefit all of us who are present here today.

As the Home Minister reminded us just now, the first Prime Minister of India, Pandit Jawaharlal Nehru had convened a National Integration Conference in 1961 to find ways and means to combat the evils of communalism, casteism, regionalism, linguism and narrow-mindedness, and to formulate definite conclusions in order to give proper lead to the country. At that Conference, it was decided to set up a National Integration Council (NIC) to review and make recommendations on all matters pertaining to national integration. The first meeting of the National Integration Council was held in Delhi in June 1962.

Our country has come a long way since 1962. We have made remarkable progress in many diverse areas. But the need to confront divisive forces remains as important, if not more, as it was about 40 years back.

The last meeting of the National Integration Council was held in October 2008. Since then, many important developments, with a direct bearing on the subject of national integration, have taken place. I would like to mention a few of them before we proceed with today's discussion.

The problems of terrorism and Left Wing Extremism constitute two major challenges that our society and polity face today. The terrorist attack in Delhi last Wednesday is a stark reminder to us that there can be no let up in our vigilance. Time and again our nation has been subjected to terrorist violence. Terrorists seek to justify such violence based on misplaced sense of ideology. The institutions and instruments of our democratic polity allow sufficient opportunity for articulating differing points of view without recourse to violence. No civilized society can tolerate or endorse loss of innocent lives in the pursuit of any ideology. This Council must unequivocally send out a message that pursuit of violence cannot be justified under any circumstance and reaffirm our collective resolve to fight the menace of terrorism in all its manifestations with all the means at our disposal.

We must continuously upgrade and strengthen our investigating agencies and our intelligence gathering apparatus to deal more effectively with the newer methods and technologies that the terrorists and Naxals adopt. In the last few years we have tried hard to achieve this. The intelligence sharing mechanism under the Multi-Agency Centre has been bolstered and the National Intelligence Grid, called the NATGRID, is being implemented so that intelligence from various sources can be accessed and analysed to identify actionable points. Regional hubs of the National Security Guards have been set up to enable quick deployment of our counter-terrorism strike forces, when required. Coastal security has also been strengthened by establishing additional coastal police stations and providing interceptor boats. State and central police organizations are being connected on a computer network through the Crime and Criminal Tracking Network System. The strength of the central para military forces has been increased. The National Investigation Agency has begun investigating terrorist related crimes in the right earnest. Of the 29 cases handed over to this agency, charge sheets have been filed in 20 cases. As I have said before, the problem of Naxalism has a development dimension also and the Central Government is making special efforts for development of backward areas, many of which are affected by Left Wing Extremism.

The Central and State Governments have to work together to confront the challenges to our internal security and we will strive hard for greater coordination not only between the Centre and States but also between States.

In our federal polity, creating a sense of oneness among our citizens and ensuring their welfare have to be the joint endeavour of both the Centre and the States. Together, over the last few years, we have taken several steps to ensure greater involvement of our people in the affairs of the nation. Our policy of engagement has helped secure peace in many areas that had experienced considerable violence in the past. The tripartite agreement for setting up the Gorkhaland Territorial Authority and several Suspension of Operations agreements in the North-East have helped bring peace and helped bridge a divide in perceptions. Our interlocutors for Jammu & Kashmir and the North-East are exploring ways of finding political solutions and creating a more durable peace for a stronger India. However, major challenges still remain.

Our democracy has struck deeper roots in the recent years with the strengthening of local governance institutions and a more informed and active citizenry. Jharkhand has held Panchayat elections after decades. The people of Jammu and Kashmir turned out in large numbers for the Panchayat elections held this year, including in areas that have experienced militancy. The active interest displayed recently by the people in the national debate on corruption augurs well for the future of our country.

Security from internal and external disturbances is a sine qua non for a nation state and steps to ensure this have always been accorded the highest priority in government. Security matters have been regularly reviewed and discussed jointly with State Governments. We have also taken up security issues with our neighbours and I am happy that some of our neighbours have extended cooperation, which has proved helpful in controlling violence in the North-East. However, concerns remain and these will continue to be addressed.

On the development front, we have taken several steps to ensure higher growth, coupled with greater inclusion. The high rates of economic growth experienced over the last decade have provided individuals with greater opportunities for improving their standards of living. Under major initiatives like the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, the National Rural Health Mission, Bharat Nirman and The Right to Free and Compulsory Education Act, direct action has been taken on an unprecedented scale to secure benefits to those who need them most. The Forest Rights Act has helped address a longstanding inequity in the treatment of forest dwellers. Our Government is moving forward with legislative proposals for securing a better deal for the people where land acquisition becomes unavoidable in the larger public interest, and also for sharing the benefits of mining operations with persons who have occupations, and traditional rights in such areas. The needs of the minorities were highlighted by the Sachar Committee, and concerted efforts have been made to address them through initiatives like the New 15 Point Programme, the Scheme for Multi-Sectoral Development of Minority Concentration Districts, Kasturba Gandhi Balika Vidyalayas and the National Commission for Minority Educational Institutions.

We need to identify and address the causes of radicalization of some of our youth. Very clearly, lack of productive employment opportunities for our young men and women is one factor which aids such radicalization. Education and skill development opportunities have a major role to play in addressing this problem. The launch of the Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan will enable us to build on the gains made in elementary education. We have made efforts at providing more opportunities with greater inclusion in higher education. We hope, these measures will help our youth harness the opportunities that a growing economy like India provides. Whether we are able to reap the benefits of our large population of young people would depend critically on the kind of skills we are able to impart to them. Our Skill Development Initiative is aimed at equipping our youth with the right kind of skills. Several measures in this regard, ranging from more institutional training and vocational education in schools to reforming the apprenticeship law and leveraging opportunities for non-institutional training are at various stages of approval and consideration.

In dealing with civil disturbances, which is one of the agenda items of today's meeting, we should keep in mind that excessive use of force often proves counter-productive. We need to distinguish between criminal activities and misguided discontent that finds unlawful expression. It is with this intent that the Home Ministry has circulated instructions for dealing with crowds in a non-lethal manner. I urge the Chief Ministers to ensure that these are made operational by appropriately equipping and training the police forces.

It is a matter of great satisfaction that in recent years relations among various communities have by and large remained harmonious. Members of this Council have played an active role in ensuring that people respond with maturity to developments that may otherwise flare up communal tempers. Nevertheless, we need to maintain a continuous vigil in this regard. We also need to recognize that members of the minority communities often have a perception of being unfairly targeted by law enforcement agencies in the aftermath of unfortunate incidents. While law must take its own course, we need to ensure that our investigating agencies are free from biases and prejudices of any kind. The media also has to play an increasingly important and constructive role in promoting peace and harmony in our society.

I look forward to rich and productive deliberations on the issues flagged in today's agenda. I am sure the views of the distinguished members of this Council will prove valuable for fashioning appropriate policy and societal responses for integrating the hearts and minds of all our people."

एयरसेल पर एक लाख के हर्जाने का दावा , न इंटरनेट कनेक्ट हुआ न शिकायत पर कोई सुनवाई हुयी

एयरसेल पर एक लाख के हर्जाने का दावा , न इंटरनेट कनेक्ट हुआ न शिकायत पर
का कोई सुनवाई हुयी
मुरैना 09 सितंबर 11, मुरैना में जिला उपभोक्ता फोरम में एक उपभोक्ता
द्वारा शिकायत की गयी है कि उसके नंबर पर पिछले 18 जुलाई से इंटरनेट
कनेक्ट नहीं हो रहा था जबकि वह हर महीने कंपनी को एडवांस में मासिक
भुगतान प्रीपेड के रूप में करता रहा , उसने वक्त पर लगातार तमाम शिकायतें
की लेकिन कंपनी द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गयी फिर कंपनी द्वारा एक
एस.एम.एस. भेजा गया कि उसकी शिकायत 18 अगस्त तक दूर कर दी जायेगी लेकिन
इसके बावजूद उपभोक्ता की न तो कोई शिकायत दूर की उल्टे उपभोक्ता ने कंपनी
के झांसे में आकर अगले महीने के लिये भी प्रीपेड रिचार्ज करा लिया लेकिन
स्थिति जस की तस रही उसके बाद उपभोक्ता प्रतिदिन शिकायत दर्ज कराता रहा
लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुयी , कस्टमर केयर द्वारा उपभोक्ता से शिकायत
दर्ज कराने के पैसे मांगे गये और किसी वैशाली नामक लड़की ने कहा कि हमारे
यहॉं पैसे देकर ही शिकायत दर्ज की जाती है , उपभोक्ता के यह कहने पर कि
तुम लोगों ने तो धंधा बना रखा है कि पहले शिकायत पैदा करो फिर शिकायत
दर्ज करने के पेसे वसूलो इस पर वैशाली ने कहा कि आप समझ सकते हैं यह
हमारा बिजनिस है , इसके बाद उपभोक्ता ने ट्राइ और कोर सेण्टर में भी
शिकायतें की लेकिन उसके बावजूद उपभोक्ता की समस्या हल नहीं की गयी ,
एयरसेल अपीलाट अथारिटी को भी उपभोक्ता अनेक शिकायतें दर्ज करा चुका था
लेकिन उसने भी कोई कार्यवाही नहीं की । उपभोक्ता ने शिकायत दर्ज करा कर 1
लाख रूपये का हर्जाना और 60 दिन का बकाया और अबाध इंटरनेट से दिलाने के
साथ मानसिक एवं प्रतिष्ठा से सबधित उत्पी ड़न के हर्जाने की मांग भी की
है ।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

मुरैना बनेगा पूरे देश का औद्योगिक पूंजी निवेश हब : ग्‍वालियर-चंबल अंचल में दिल्‍ली – मुंबई औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण



ग्‍वालियर-चंबल अंचल में दिल्‍ली – मुंबई औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण

मध्‍यप्रदेश सरकार से दिल्‍ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना के अधीन मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियार में मोरेना क्षेत्र को पूंजी निवेश केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक औपचारिक प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुआ है। यह प्रस्‍ताव राज्‍य सरकार के पत्र दिनांक 15 जुलाई, 2011 का है। राज्‍य सरकार से पर्याप्‍त भूमि, जल और बिजली उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया गया है, ताकि नये केंद्र के विकास के लिए तकनीकी सहायता उपलब्‍ध कराने पर विचार किया जा सके। यही प्रक्रिया अन्‍य राज्‍यों में भी अपनाई जाती है। यह जानकारी वाणिज्‍य और उद्योग राज्‍य मंत्री श्री ज्‍योतिरादित्‍य एम. सिंधिया ने आज राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।






रविवार, 4 सितंबर 2011

ग्रामीण महिलायें करेंगीं किरण बेदी की महिला आयोग में शिकायत, मांगेंगी मुआवजा और अपराध दर्ज कराने की करेंगीं मांग


ग्रामीण महिलायें करेंगीं किरण बेदी की महिला आयोग में शिकायत
मुरैना 4 सितंबर 11, आज ग्वालियर टाइम्स के मुरैना कार्यालय में चंबल अंचल की करीब एक दर्जन महिलाओं ने बताया कि वे ग्रामीण महिलायें हैं और प्रथा व परंपरा के अनुसार घूंघट करतीं आ रही हैं , उनके मुताबिक चंबल अंचल की 80 फीसदी महिलायें घूंघट करतीं हैं । उन्होंने जब टी.वी. पर किरण बेदी को अन्ना हजारे के अनशन कार्यक्रम में घूंघट का उपहास और खिल्ली उड़ाते देखा तो उन्हें बहुत क्षोभ और दुख हुआ बाद में बताया कि घूंघट एक मुखौटा होता है जिसमें बहुरूपिये छिपे होते हैं और घूंघट को मुखौटा बताते हुये इसे करने वाली महिलाओं को अदल बदल करने वाली बता दिया इससे उनकी भावनायें आहत होकर मानसिक आघात पहुँचा है ।
महिलाओं के मुताबिक वे राष्ट्रीय महिला आयोग को शिकायत कर किरण बेदी के खिलाफ ग्रामीण महिलाओं और उनके घूंघट का उपहास उड़ाने और अपमानित करने के मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने तथा हर घूंघटधारी महिला को पहुँचे भावनात्मक व मानसिक संत्रास की क्षतिपूर्ति मुआवजे की भी मांग कर रहीं हैं ।
अंचल की ग्रामीण महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग को ऑनलाइन शिकायत और पंजीकृत डाक द्वारा शिकायत दर्ज करा कर प्रकरण दर्ज कराने व मुआवजा दिलाये जाने की मांग की जा रही है । 


शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

Internet services dumped at Chambal.

Internet services dumped at Chambal.

Morena 2nd september 11. Internet services at chambal region since yesterday 11 P. M. Of Aircel, Tata Docomo and Airtel has totally dumped. No GPRS signals are available in the area for all of these three networks since last 6 hours.